Chhoti Titli (Hindi Short Story)
बच्चो की कहानी: छोटी तितली
एक हरे-भरे सुंदर फूलों के बगीचे में एक प्यारी सी छोटी तितली रहती थी । वह दिन भर इस फूल से उस फूल तक मंडराती रहती थी। कभी एक फूल पर बैठती तो कभी दूसरे फूल पर नाचती रहती थी। वह छोटी सी एक प्यारी तितली पूरे बगीचे में अकेले ही रहती थी और कभी इधर दौड़ती, तो कभी उधर भागती रहती थी। वह कभी थकती भी नहीं थी।
तितली के पंख
बड़े रंगीन थे, लाल-पीले रंगों के पंख उस छोटी सी तितली के ऊपर और भी बहुत सुंदर लगती
थी। और भी कई सारे रंग समाये हुए थे उसके पंखों पर। वह जब भी फूलों पर बैठती, तब उसके
पंखों के रंग फूलों के रंग के साथ समा जाते थे। उसके सिर पर दो एंटीना लगे हुए थे,
जो तितली का स्पर्श सूत्र था और वह हमेशा उनके सहारे चिज़े महसूस कर सकता था।
तितली को वह बगीचा बहुत पसंद था। वह बगीचा ही उसका घर
था और सारे पेड-पौधे मानो उसका कमरा हुआ करता था। छोटी सी तितली उडते-उडते हर फूलों
पर जाकर बैठ जाती और आराम करती थी। वह बगीचे का हर एक फूल ही तितली रानी का बिस्तर
और भोजनालय भी हुआ करता था। वह हर एक फूलों से रस चूंसकर अपनी भूक और प्यास मिटाती
थी। तितली रानी पूरे बगीचे में अकेली रहती थी, और उसे कभी किसी भी चिज़ की कमी नहीं
होती थी। परंतु वह कभी कभार किसी दोस्त के लिए अभिलाषा रखती थी, जो कुछ पल बगिचे में
उसके साथ खेलकर दिन बिताये।
एक दिन सांझ के समय तितली एक गुलाब के फूल पर बैठी थी। तभी वहा एक नन्हा सा भौंरा भी आ गया। भौंरा भी उसी गुलाब के फूल पर आकर बैठ गया। तितली वहा से ज़रा सा हट गई और भौंरे को उसने उस फूल पर जगह दे दी। प्यारी तितली ने सोचा वह नन्हा सा भौंरा उस बगीचे की महमान है तो वह कही भी बैठ सकता है और फूलों के रस का आनंद ले सकता है।
एक दिन सांझ के समय तितली एक गुलाब के फूल पर बैठी थी। तभी वहा एक नन्हा सा भौंरा भी आ गया। भौंरा भी उसी गुलाब के फूल पर आकर बैठ गया। तितली वहा से ज़रा सा हट गई और भौंरे को उसने उस फूल पर जगह दे दी। प्यारी तितली ने सोचा वह नन्हा सा भौंरा उस बगीचे की महमान है तो वह कही भी बैठ सकता है और फूलों के रस का आनंद ले सकता है।
भौंरा |
पर भौंरे को उसके पास बैठी हुई तितली बिल्कुल पसंद ना
आई, इस्लिए भौंरे ने तितली से कूछ हट करते हुए कहा, “तुम यहां से उड़ जाओ, यह फूल मेरा
है”।
यह सुनते ही तितली को अच्छा नहीं लगा और वह नाराज़गी जताते हुए बोली, “नहीं, यह फूल मेरा भी है, मैं क्यों उड़ जाऊँ?”
यह सुनते ही तितली को अच्छा नहीं लगा और वह नाराज़गी जताते हुए बोली, “नहीं, यह फूल मेरा भी है, मैं क्यों उड़ जाऊँ?”
भौंरा बोला, “मुझे यह गुलाब का फूल पसंद है और मुझे इसीसे
रस का आनंद लेना है। तुम कोई दुसरे फूल में जाकर अभी आराम करो।“
तितली ने कहा, ” यह मेरा बगीचा है, मैं किसी भी फूल पर बैठ सकती हुँ और तुम तो बस एक महमान हो।“ नन्हा सा भौंरा बड़ा नादान था और वह कुछ नहीं बोला। वह जल्दी-जल्दी फूल से रस चूसने लगा और अंधेरा होने से पहले वह बगीचे से अपने घोंसले पर लौट जाना चाहता था। परंतु अचानक उसकी सुई जैसी सूँड फूल के पराग में फँस गई। कुछ देर तक भौंरे ने अपने सूँड को खिंचने की कोशिश किया, पर वह ऊधर बुरी तरह से अटक गया था। उसे अब दर्द होने लगा। भौंरा क्या करता? वह छटपटाने लगा। तितली ने उसे देखा और भौंरे की छटपटाहट देखकर तितली को उसपर दया आई। तितली ने फूल के वह स्थान पर खोद डाला जहाँ भौंरे की सूँड फँसी हुई थी। फिर बोली “धीरे से खींचो सूँड निकल आएगी।“ भौंरे ने ऐसा ही किया जैसा तितली ने उसे कहा। और फिर भौंरे की सूँड फूल के पराग से निकल आई। उसका दर्द भी खत्म हो गया। उसने तितली को धन्यवाद दिया।
उस दिन से वह तितली का दोस्त बन गया और फिर कभी भी बगीचे में आकर, किसी भी फूल से रस का आनंद लेता। वह भी छोटी तितली के संग पूरे बगीचे में दिन भर मंडराता रहता।
सीख:- जीवन में सुख सुविधा उपलब्ध होने पर भी एक दोस्त का होना बहुत आवश्यक है।
Reference: Adapted from 'Suno Kahani'
Find more Hindi Story on this blog Khel ka Maidan ; Chhed wala Matka
Paromita Pramanick ©2017. All Rights Reserved.
ReplyDeleteButterflies Information In Hindi