Khel ka Maidan

बच्चो की कहानी: [खेल के मैदान]

यह मीतू और गीतू का स्कूल है, वह दोनों एक ही कक्षा में पढते है और बहुत पक्के मित्र है। पाठशाला के चारों और तरह-तरह के पेड-पौधे लगा ग  है, जिस्से स्कूल के आस-पास ठंडी वातावरण बनी रहे और बच्चे जब खेल के मैदान में खेले तब उन्हे पेड-पौधो की छाँव मिले तथा वह धूप के कडी ताप से बचे। गीतू और मीतू के स्कूल में एक बडा सा खेल का मैदान है। हम सबके स्कूलों में खेल का मैदान होता है, पर मीतू और गीतू के स्कूल में जो खेल का मैदान है, वह बच्चों को बहुत लूभाता है। बच्चो को यहा खेलने में बेहद आनंद मिलता है।
खेल के मैदान में कई प्रकार के खेलने की चीज़े स्कूल के अधिकारियों ने बना रखे है, जैसे के झूला, फिसलपट्टी, हिंडोला, दौड लगाने का धावन पथ, इत्यादी। खेल के मैदान में सब बच्चे खेलने आते है, कभी कोई लडाई झगडा नहीं करते है, सारे मिल-जूलकर बारी-बारी से अपने खेलों का मज़ा उठाते है।

झूला

कभी झूला झूलते है तो कभी फिसलपट्टी पर फिसलते है। चोर सिपाही भी खेलते है। और भी बहुत सारे खेल खेलते हैं। खेल खेलना सबको अच्छा लगता हैं और बच्चो को तो खेलना बहुत पसंद है।

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फिसलपट्टी

समय-समय पर बच्चो को खेलने देना, उनके मानसिक और शारिरिक विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। बच्चो को उनके बाल अवस्था से ही नियमीत रूप से खेलने देना बेहद आवश्यक होता है। माता-पिता एवं शिक्षकों का मार्गदर्शक भी खेल के दौरान ज़रूरी होता है।

इस समय खाने के लिए दोपहर का भोजनावकाश हुआ है, तो सारे बच्चे अपने-अपने कक्षाओं मे से बाहर निकलकर खेल के मैदान मे आ गए है। मीतू और गीतू अपने दुसरे साथियों के साथ खेल के मैदान में आए है। सारे बच्चे अपना भोजन खत्म करके खेलने के लिए तैयार हो गए है।

 मीतू

मीतू रस्सि लेकर कूद रही है और गीतू अपनी बारी का इन्तज़ार कर रही है। जब मीतू का बीस तक रस्सि कूदना हो जाएगा, तब उसके बाद गीतू भी बीस तक रस्सि कूदेगी। कूछ बच्चों को रस्सि कूदना आता है और कूछ बच्चों को नहीं। रस्सि कूदना अच्छा खेल है। जो बच्चे रस्सि खेलना चाहते है, वह भी अपने बारी का इन्तज़ार कर रहे है।

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गीतू

खेल का समय हर रोज़ आधे घंटे का दिया जाता है, जिसमे कूछ समय बच्चे खाना खाने मै लगाते है और बाकी का वक्त जो बचता है, वह मौज-मस्ती खेल-कूद मे लगा देते है। जब पढाई की घंटी बजेगी, तब सारे बच्चे खेलना बंद कर देंगे और अपने-अपने कक्षाओं मे वापस चले जायेंगे। गीतू और मीतू भी अपनी कक्षा मे लौटकर पढाई में ध्यान देंगी।

पाठशाला में खेल का मैदान का होना बहुत ही आवश्यक है, क्योकि बच्चो को यह स्कूल मे हर रोज़ आने में रूची जगाती है। बच्चो का खेल-कूद करने से पढाई में फिर एकाग्रता बढ जाता है और वह अपने कार्य में भी ज़्यादा ध्यान दे पाते है। मीतू और गीतू को भी अपने स्कूल हर रोज़ जाना अच्छा लगता है, क्योकि उन्हे खेल के मैदान में खेलना बहुत पसंद है।

Reference: Various.

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