Hindi Story - Jaise ko Taisa

Paromita Pramanick

जैसे को तैसा = Tit for tat

एक ऋषि जंगल में एक छोटे से आश्रम में रहता था। किसी दिन उस ऋषि को एक छोटा-सा चूहा ज़मीन पर पड़ा मिला। ऋषि को उस चूहे पर दया आ गई और उसे ज़मीन से उठा लिया। फिर वे उस चूहे को अपने आश्रम में ले आए।

फिर अगले दिन ऋषि उस चूहे को देखकर सोचने लगा, "यह तो बहुत ही छोटा है। कहीं इसे बिल्ली न खा जाए। मैं इस चूहे को बिल्ली ही क्यों न बना दूँ?" यह सोचकर ऋषि ने उस चूहे को बिल्ली बना दिया।

बिल्ली दिन भर आश्रम में घूमती रहती थी। मौका देखकर आश्रम में रहने वालों का दूध वह चट कर जाती थी। किसी रोज़ एक कुत्ता उस बिल्ली के पीछे दौड़ा। डर कर बिल्ली भागी और पेड़ पर चढ़ गई।

उस दिन बिल्ली की जान बच गई। ऋषि फिर सोच में पड़ गया, "आज तो बिल्ली बच गई। पर किसी दिन कोई तगड़ा कुत्ता इसे मार न डाले। इसलिए मैं इसे कुत्ता ही क्यों न बना दूँ?" यह सोचकर ऋषि ने बिल्ली को कुत्ता बना दिया।

कुत्ता निडर होकर आश्रम में रहने लगा। एक दिन ऋषि के साथ-साथ वह जंगल में चला गया। वहाँ उसे किसी शेर की दहाड़ सुनाई दी। दहाड़ सुनते ही कुत्ते की दुम सरक गई।

"यह तो मामूली-सा कुत्ता है। यह तो शेर की दहाड़ से ही डर जाता है। कहीं शेर को देखकर यह बेहोश ही न हो जाए। इसलिए मैं इसे शेर ही क्यों न बना दूँ?" यह सोचकर ऋषि ने कुत्ते को शेर बना दिया।

शेर बनते ही चूहे ने सोचा कि मुझे दिखा कर लोगों से ऋषि कहेंगे कि यह तो चूहा है जिसे मैंने शेर बना दिया। यदि मैं इस ऋषि को खा जाऊँ तो यह बात लोगों को नहीं पता चलेगी। इसलिए मैं पहले इसे ही खा जाता हूँ और वह ऋषि को खाने के लिए झपटा।

पल भर में ऋषि समझ गए कि क्या होने वाला है। इसलिए उन्होंने अगले ही पल शेर बने चूहे को फिर से चूहा बना दिया और अपनी जान बचाई।

सिख: जो जैसा है उसे वैसा ही रहने देना चाहिए।

Reference: Gyan Ganga book series.

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