Hindi Short Story 'Do Kanjoos'
('Do Kanjoos' is
a short story in Hindi about two friends living in a village, both are considerably
stingy on using anything they have got and keep depriving from using them properly)
किसी गाँव में
दो मित्र रहते
थे। दोनों साथ-साथ रहते
थे। एक का नाम राम और दूसरे का नाम श्याम
था। दोनों मित्रों को गाँव वाले कंजूस कहकर बुलाते थे। क्योंकि वह दोनों ही बात-बात
पर, हर कार्य पर, हर एक चिज़ों की नाप-तौल करते रहते थे। वह दोनों ही चिज़ों का इस्तमाल
कैसे कम-से-कम कर सके, नियमित रूप से घटाते रहते थे। इसलिए उनके नाम राम तथा श्याम
के बजाय 'दो कंजूस' के नाम से प्रचलित हो गया।
एक
दिन की बात है जब राम सवेरे चार बजे उठा। क्योंकि उसे दूसरे गाँव कुछ जरूरी सामान खरीदारी
करने जाना था। राम सवेरे की आरती भगवान को चढ़ाकर, तुरंत वह अपनी राह चल पड़ा। राम
काफी दुर तक पहुँच गया था, अकस्मात आधे रास्ते जाने पर उसे याद आया कि वह घर में दीया
बुझाना तो भूल ही गया। और मन ही मन सोचने लगा कि 'यदि दीया जलता ही रहेगा, तो बहुत
सा तेल जल जाएगा।'
यह सोच कर राम ने तुरंत
ही अपनी राह पलटी और वह अपने घर लौट पड़ा। राम बहुत व्याकुल होकर तेज़ी से चलता रहा।
घर आने पर उसने देखा कि दीया तो बुझा हुआ था। तब जाकर उसे चैन मिला।
तभी श्याम ने उससे
पूछा कि लौट क्यों आए? उसने श्याम को सच बात बता दी। श्याम बोला, "तुम मुझे इतना
मूर्ख समझते हो? क्या मुझे नहीं मालूम कि दिये में यों ही तेल नहीं जलना चाहिए? लेकिन
तुम ज़रूर मूर्ख हो। इतनी दूर यों ही चलने से तुम्हारे जूते बेकार में ही घिसे होंगे।"
यह सुन राम हँसा, फिर
बोला, "नहीं, जूते नहीं घिसे। मैंने जूतों को उतार कर हाथ में जो ले लिया था।"
यह सुनकर श्याम ने
भी चैन की
साँस ली। और पास के ही खड़े एक गाँव वाले ने कहा, "तुम दोनों तो कंजूसी में
अव्वल हो।"
सीख: सब कुछ पर कंजूसी
जरूरी नहीं होता है।
Moral: Skimp on
everything is not necessary.
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