Hindi Short Story- Chhed wala Matka
बच्चो की कहानी: [छेद वाला मटका]
एक गांव में एक लडकी रहती थी। वह दूर पहाडियों में अकेले ही रहती थी। वह पहाडो के ऊपर एक छोटी सी कुटिया में केवल अपने कुछ ही ज़रूरत के चीजों के साथ रहती थी। उसके पास सिर्फ दो ही मिट्टी के बर्तन/घडे (मटके) थे। और कूछ ज़्यादा चिज़े नहीं थे, खाने-पीने तथा रहने के लिए जितने भी चिज़े ज़रूरी थे, वह उस्से ही अपना गुज़ारा कर लेती थी। उसके जीवन को गूज़ारने के लिए यही दो मटके लगभग हर काम के लिए काफी थे। उसके पास जो दो मिट्टी के घडे थे, वह हमेशा पानी भरने के लिए इस्तेमाल किया करती थी। वह हर रोज़ पानी लेने के लिए पहाड से निचे एक बडे से खेत में से होकर गुज़रती और फिर दुर एक नदी में जाकर उन मटको में पानी भर लाती थी। फिर लौटने के समय भी वह उसी खेत से होकर गुज़र चली जाती थी।
वह छेद वाला मटका बहुत उदास हो जाता है और वह लडकी से माफी माँगता है। पर लडकी उसे धन्यवाद देते हुए कहती है, "इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है, तुमने तो अपना कार्य निष्चित रूप से निभाया है, तुमने बहुत से प्राणों में अपने हिस्से का पानी देकर उनमें जान डाला है। तुम खुदको दोष न दो, मैं तुम्हारे इस बेहतरीन कार्य से बेहद प्रसन्न हुँ।"
अगले दिन जब वह लडकी अपने दोनों मटको में पानी भरकर पहाड की ओर लौटती है, वह अपने बाये तरफ की छेद वाले मटके को रास्तें के किनारो पर देखने को कहती है। चलते समय मटके ने ध्यान से अपनी रास्ते के तरफ देखा और देखकर वह खुशी के मारे झूम उठा। वह आश्चर्य हो गया कि उसके छेद वाले हिस्से में से पानी झाडियों में गीरता रहा, और बहारे खिलती रही। जहाँ सूँदर से रंग-बिरंगे फूलो की वादिया तथा हरियाली खिली हुई थी। और जबकी दुसरी तरफ सूखा हुआ बंजर ज़मिन था। लडकी ने कहाँ कि उसे हमेशा से ही इस बारे में पता था, फिर भी उसने वह छेद वाले मटके को इस्तमाल किया और आज देखो उस मटके के कारण वह फूल कितने सूँदर खिले हुए है। छेद वाले मटके के वजह से सूँदर फूलों का बगीचा सदैव खिला रहा।
सीख:- जाने-अनजाने में किसी की मदद करना दिल को खुशी देती है।
Moral: Helping someone, knowingly or unknowingly, gives happiness to the heart.
Reference: Depicted from CureJoy (English Story)
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